भूखा है नंगा है डरा है
हर चौराहे पर इंसान खड़ा है
हर तरफ देशभक्ति का जलवा है
कोई बेच रहा दातून कोई गंजी
आम इंसान, खाने को दो रोटी नहीं
देश का हर नेता है महान
कभी वह भी था इंसान
सत्ता का मद हो चला इतना भारी
फर्क नहीं पड़ता बहे खून या पानी
हर चौराहे पर इंसान खड़ा है
हर तरफ देशभक्ति का जलवा है
कोई बेच रहा दातून कोई गंजी
आम इंसान, खाने को दो रोटी नहीं
देश का हर नेता है महान
कभी वह भी था इंसान
सत्ता का मद हो चला इतना भारी
फर्क नहीं पड़ता बहे खून या पानी
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