मांझी का इंतजार, सफ़र को बेकरार
लहरें रह रह कर, कर रहीं पुकार
पल की बेचैनी में गूँधा, जीवन का सार
विरह का पल, मिलन के पल को बेकरार
लहर की एक छींट, सिहर जाता रोम
सिकुड़ता तन, स्वच्छन्द होता मन
फिर बूँदों का रेंगना, एक अहसास
पानी में भरी, अद्भुत प्यास
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