चुनाव का मौसम है। चुनावी जुमलों की बहार है। नेताजी भुलक्कड़ राम और ठेंगा राम भी बढ़ चढ़कर चुनावी जुमलों की रफ़्तार को कायम रखे हुए हैं। ठेंगा राम ने वादा किया की वो हर तरह के किसानों के ऋण माफ़ कर देंगे। भुलक्कड़ राम कहाँ पीछे रहने वाले थे। उन्होंने भी वादा कर दिया की वो हर तरह के किसानो का हर तरह का ऋण माफ़ कर देंगे। जनता ने जोर से तालियां भी बजा दी।
इन वादों में हमे अपने लिए आशा की किरण नजर आयी। मगर ऋण की माफ़ी के लिए ऋण लेना पड़ेगा तो आनन फानन में हम अपने बैंक में पहुँच गएऔर सीधे बैंक की रिसेप्शनिस्ट के सामने विराजमान हो गए।
"हेल्लो सर, मैं आपकी क्या सहायता कर सकती हूँ," बहुत सुन्दर और बहुत कृत्रिम हंसी।
"मैडम, मुझे लोन चाहिए ," हमने भी धीरे से अपनी बात जाहिर कर दी।
मैडम की कृत्रिम हँसी में पैनापन आ गया। उन्होंने हमें तुरंत एक लोन एजेंट के सामने पहुंचा दिया।
"यस सर,आपको कौनसा लोन चाहिए," एजेंट काफी घुटा हुआ लगा रहा था। हम पूरी कोशिश करके भी हंसी के अंदर कृत्रिमता नहीं ढूंढ पाए। उसने पूरी मार्केटिंग अपने रग रग में घोट रखी थी।
"सर, आपको कौनसा लोन चाहिए। हमारे पास होम लोन, ऑटो लोन और बहुत तरीके के लोन हैं," लोन एजेंट थोड़ा हमारी तरफ़ा झुका और एक हलकी मुस्कराहट लिए बोला, "हम ट्रेवल लोन भी देते हैं, जैसे थाईलैंड,"लोन एजेंट थोड़ी देर के लिए रुका मगर हमारे अंदर कोई हरकत नहीं देख कर बोला, "जापान,यूरोप जहाँ आपको जाना हो।"
"नहीं भाई , इनमे से कोई लोन नहीं चाहिए," अब हमारी बारी थी, "हमें तो फार्म लोन चाहिए, खेती के लिए।
लोन एजेंट थोड़ा हक्का बक्का हो गया। उसने हमें ऊपर से नीचे तक देखा की किस त्रिकोण से हम किसान नजर आ रहे हैं।
"और भाई वो वाला लोन जो माफ़ हो जाता है," हमने अपने चेहरे में मासूमियत रखकर अपनी बात पूरी की।
लोन एजेंट पुरे दो मिनिट हमें खुली आँखों से निहारता रहा। थोड़ी देर में हम मैनेजर के सामने थे।
"जी कहिये," मोटे चश्मे के पीछे से गहरी काली आँखों ने हम पर सवाल दागा। उसमे एक व्यंग दिख रहा था। लोन एजेंट पहले ही हमारी कथा बता चूका था।
"सर, फार्म लोन चाहिए," हमने भी मासूमियत से जवाब दे दिए।
"कितना बीघा खेत हैं आपके," मैनेजर ने पूछा।
हमने अपने फ़ोन में कैलकुलेट कियाऔर बोले, "दशमलव शुन्य शुन्य तीन चार सात"
"दशमलव से पहला वाला संख्या बताइये," मैनेजर ने वापस पूछा।
"शुन्य दशमलव शुन्य शुन्य तीन चार सात," हमने भी फटाफट उत्तर दे दिया।
"जी," मैनेजर को लगा उसने अभी भी कुछ गलत सुना है। इस बार फ़ोन में कैलकुलेट करने की बारी मैनेजर की थी। उन्होंने अपने कैलकुलेटर में देखा और फिर हमारी और देखा और हंस कर बोले , "आप उसमे क्या उगाने वाले हैं।"
"अभी तो आलू उगाने का विचार है," हम भी पूरी तैयारी करके आये थे, "सुना है कोई मशीन आयी है जो आलू को सोने में बदल देती है।"
मैनेजर साहब इस बार जोर से खिलखिलाकर हंस पड़े। उनकी आवाज़ से पूरा बैंक हिल उठा और हर कोई मैनेजर के केबिन की ओर देखने लगा।
"और उस मशीन के लिए भी एक कारखाना लगाने का विचार है," हमने अपनी बात जारी रखी, "कारखाने के लिए भी आपसे लोन ले लेंगे। सुना है सरकार उद्योंगों के भी लोन माफ़ कर रही है।"
"आपने तो पूरी रिसर्च करी हुई है," मैनेजर साहब वापस मुस्कुरा दिए, "बोलिये आप चाय पिएंगे या कॉफ़ी?"
"सर, आप तो हमारा लोन पास कर दीजिये," हमने वापस अपनी दरख्वास्त आगे बढ़ा दी," और देखिये जितना ज्यादा हो सके उतना बढ़िया। फिर चाय हम आपको पिला देंगे। वैसे भी हमारे देश में लोन तो किसी और के लिए होता है और कहीं और पहुँच जाता है" हमने भी अपनी कुटिलता वालो हंसी दिखा दी।
मैनेजर साहब मुस्कुराये और बोले, "आप अपना फ़ोन नंबर छोड़ दीजिये। हम आपकी एप्लीकेशन में गौर करके शीघ्र ही आपको फ़ोन करेंगे।"
हमने तुरंत अपना फ़ोन नंबर, नाम और पूरा पता लिख के दे दिया और उसके साथ आधार की फोटोकॉपी भी लगा दी ताकि वेरिफिकेशन की कोई प्रॉब्लम न हो।
वो दिन और आज का दिन हम अभी भी इंतज़ार कर रहे हैं की कब मैनेजर साहब का फ़ोन आएगा। हर बार जब फार्म लोन या बिज़नेस लोन माफ़ होने की खबर आती है तो हम अपने नुकसान पर दिल मसोस कर रह जाते हैं। और हमारा वो पचास स्क्वायर फ़ीट का किचन गार्डन आलू की खेती का अभी भी इंतज़ार कर रहा है।
No comments:
Post a Comment