Saturday, January 3, 2015

पानी पूरी का ठेला

पानी पूरी का ठेला, सड़क किनारे सजेला
कड़क पूरी, इमली का पानी, अलबेला छोला
धूप हो या छाव, बारिश हो या सूखा
खिलाओ सबको, पेट रहे चाहे भूखा
एक पूरी, दो दाने छोले के, थोड़ा पानी
नहीं पूरे बाज़ार में इस स्वाद का सानी
दो मासूम एक बीबी और बहुत सपने
आशा में देते हैं हर पूरी को चटकने
हर दिन एक ऩफा नुकसान है
ऩफा तो भोजन नुकसान तो भजन

हाथों में सरिया, ज़बान में कोई उपरवाला
एक चॅटकन में निकाल दिया ठेले का नीवाला
पढ़ डाली सारी धार्मिक किताबें मैने
नहीं मिला कोई दूर्बल को मारनेवाला उपरवाला
पथर से तोड़ डाला पूरियों का नीवाला
किसी ऐतहासिक शूरवीर के छद्म वेश वाला
उस शूरवीर के जीवन को गुन डाला
नहीं मिला निर्बल को परेशान करने वाला

मै एक सीधा साधा ठेलेवाला
मुझे नहीं मालूम कौन उपरवाला
मुझे नहीं मालूम कौन बलवाला
दो मासूमों की भूख का बस मै रखवाला

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