वो ऑंसू नहीं आइना था
सरपट दौड़ी वह बूँद
कहीं कोई अत्कार न कर दे
वो जिस्म ठंडा पड़ चुका था
आत्मा पहले ही मर चुकी थी
अब जिस्म भी मर गया था
बस हाड़ मांस बाकी था
फिर सेना निकली
बड़े बड़े बलवानों की
राष्ट्र जाती धर्म के
पहने जिन्होंने मुखौटे थे
अरमान थे उन आँखों में
शैतान थे इन आँखों में
फिर जिंदगी हार गयी
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