अब मैं पल नहीं जीता हूँ
बस उन्हें कैमरे में कैद कर लेता हूँ
इस उम्मीद मैं की कभी भविष्य में
उन पलों को निकालकर जी लूँगा
ऐसा अताह पलों का सागर
इकठ्ठा कर लिया है मैंने
आज उस मोड़ पर खड़ा हूँ मैं जहाँ
अनजियी जिंदिगी बड़ी है जिंदगी से
एक समय था बस कुछ समय पहले
जहाँ में पल जी लेता था
खुश होता तो हँस लेता था
गम होता तो रो लेता था
आज तो मैंने बस जिंदगी इकट्ठी करी है
और फिर उन पलों को निहारता हूँ
मगर यह नहीं समझ पाता की
वो जिंदगी अब कैसे जियूँ
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