Sunday, April 1, 2018

अब मैं पल नहीं जीता हूँ



अब मैं पल नहीं जीता हूँ 
बस उन्हें कैमरे में कैद कर लेता हूँ 
इस उम्मीद मैं की कभी भविष्य में 
उन पलों को निकालकर जी लूँगा 


ऐसा  अताह पलों  का सागर 
इकठ्ठा  कर लिया है मैंने 
आज उस मोड़ पर खड़ा हूँ मैं जहाँ
अनजियी जिंदिगी बड़ी है जिंदगी से 

एक समय था बस कुछ समय पहले 
जहाँ में पल  जी लेता था 
खुश होता तो हँस लेता था 
गम  होता तो रो लेता था 

आज तो  मैंने बस जिंदगी इकट्ठी करी है 
और फिर उन पलों को निहारता हूँ 
मगर यह नहीं समझ पाता की 
वो जिंदगी अब कैसे जियूँ 


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