इंसानों की हैवानियत देख कर
खुदा भी आजकल काफ़िर बन गया है
कब्र में सोया करती थी लाशें
मेरा शहर लाशों का बन गया है
हर खबर में मैं ढूँढता हूँ अपने को
इस शहर में, मैं भी एक लाश बन गया हूँ
शराब में अब मद नहीं बचा है शायद
काफ़िर भी अब हिंदू मुसलमान बन गया है
बचपन में सुनी थी एक कहानी
कागज़ की कश्ती बारिश का पानी
उस बारिश में बहाता हूँ
कश्ती भरके उम्मीदों की रवानी
खुदा भी आजकल काफ़िर बन गया है
कब्र में सोया करती थी लाशें
मेरा शहर लाशों का बन गया है
हर खबर में मैं ढूँढता हूँ अपने को
इस शहर में, मैं भी एक लाश बन गया हूँ
शराब में अब मद नहीं बचा है शायद
काफ़िर भी अब हिंदू मुसलमान बन गया है
बचपन में सुनी थी एक कहानी
कागज़ की कश्ती बारिश का पानी
उस बारिश में बहाता हूँ
कश्ती भरके उम्मीदों की रवानी
No comments:
Post a Comment