मैं दिल्ली हूँ, भारत का दिल हूँ
मुग़लिया सल्तनत की दुलारी थी
मैं अँग्रेज़ों की प्यारी थी
शासक मुझ पर भंवरों की तरह डोलते
मेरी चमक में अपने अहं को घोलते
आज भी एक मतवाला आया है
अपनी किस्मत आज़माने आया है
पर ये परवाना अनोखा है
या मेरी आँखों का धोखा है
मैंने बहुत झोंके देखे हैं
हर झोंका उम्मीद लाता है
मगर खुद की चाल में बहक जाता है
इस बयार की खुशबू कुछ जुदा है
या ये मेरी ढलती उम्मीदों का नतीजा है
In 2020 also
(For the unprecedented victory of AAP in Delhi assembly elections 2015. I wish to look back to these lines with a sense of happiness forever. Rest the future is the history of the future.)
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